तलाश है, एक और देवदास की,
पारो तो फिर भी मिल जाती है
नही मिलते है तो सच्चे देवदास।
पारो आज भी चढ़ जाती है विवाह की वेदी पर ,
कभी इज्जत के नाम पर ,
कभी पैसो के नाम पर ,
पर देवदास अब धूल नही फांकते ,
आँसू नही बहाते,
पारो की देहरी पर एडिया रगड़ कर नही मरते ,
क्योकि मर जाते है जज्बात,
बह जाते है आँसू
नई पारो की तलाश मे
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1 comment:
aap kk pryas kbile tareef hai. Aap is feeling ko bnaye rakheyega.shabdo per dhayan de. umeed karte hain aage bhi Aap ki rachnaya pdne ko milegi
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